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Thursday 26 November 2015

Shiv Yog Foundation

Shiv Yog Foundation

यह शरीर एक रथ है और पाँच इन्द्रियाँ इसको चलाने वाले घोड़े| इसी शरीर से ही तुम अध्यात्म की सीडी चड़ पाओगे| यदि यह शरीर स्वस्थ होगा तो ही तुम्हारी यात्रा पूर्ण होगी| यात्रा किसकी - नर से नारायण बनने की| यात्रा रोगी से निरोगी बनने की, निरोगी से योगी बनने की और अंत में योगी से शिवयोगी बनने की| स्थूल शरीर की सही सेवा करना एक शिवयोगी के लिए अनिवार्य है| स्थूओ शरीर को स्वस्थ बनाने के साथ ही साथ सूक्ष्म क्रियाएँ करना भी ज़रूरी हैं| एक मनुष्य सम्पूर्ण मनुष्य तभी बन सकता है जब उसके पाँचों शरीर शक्तिशाली हों| स्थूल शरीर के व्यायाम के साथ साथ सूक्ष्म शरीरों को ऊर्जा से भरना भी आवश्यक है|"

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