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Friday 27 November 2015

डेयरी टेक्नोलॉजी नौकरी व स्वरोजगार के लिए उत्तम है

डेयरी टेक्नोलॉजी नौकरी व स्वरोजगार के लिए उत्तम है 


डेयरी के कामों के अंतर्गत कई प्रकार के दुग्ध उत्पादों का निर्माणउपार्जनभंडारण,प्रसंस्करण व विपणन शामिल हैं। इस काम के लिए डेयरी वैज्ञानिकों को नियुक्त किया जाता है,जो निर्माण की प्रक्रिया के हर पक्ष पर नजर रखते हैं। डेयरी तकनीशियन प्रयोग करके आकलन करते हैं कि विभिन्न तरह के चारे और पर्यावरण से जुड़ी स्थितियां दूध की गुणवत्तापौष्टिकता व मात्रा पर क्या प्रभाव डालती हैं। इसलिए डेयरी विशेषज्ञों की मांग उसी तहर बढ रही है जिस तरह से दूध उत्पादों की मांग दिनोंदिन बढ रही है
भारत एक कृषि प्रधान देश है। आज भी यहां की अधिकांश आबादी खेती-बारी पर आश्रित है। सरकार भी मानती है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि जनित उत्पादों का अहम रोल है। कृषि कार्य में सिर्फ खेतों की बुआईजोताई या निराई ही शामिल नहीं है। बागवानी से लेकर मत्स्य पालन और पशुपालन भी इसके अंतर्गत आता है। प्रदेश की सरकारें इन कार्यों में लगे लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह की सहकारी योजनाएं चलाती हैं। कई तरह के कर्ज दिए जाते हैं ताकि किसान अपने पैरों पर खडे होकर एक स्वावलंबी जिंदगी जी सकें। डेयरी फार्मिंग भी इसी के अंतर्गत आने वाला एक क्षेत्र है। हमारी कृषि प्रधानअर्थव्यवस्था में डेयरी इंडस्ट्री की अहम भूमिका है। डेयरी फार्मिग में दुधारू जानवरों की ब्रीडिंग व देखभालदूध उपार्जन और फिर दूध से विभिन्न डेयरी प्रोडक्ट्स का उत्पादन शामिल है। दूध और दही के अलावा पनीरखोयाछाछलस्सी और पेडा का उत्पादन इस इंडस्ट्री के अंतर्गत एक बडे स्तर पर हो रहा है। डेयरी उत्पादों की मांगों को देखते हुए यह उद्योग भी विशालकाय है और इससे विदेशी मुद्रा भी आती है। अमूल कंपनी का नाम कौन नहीं जानता। वर्ष1946 में गुजरात में आणंद मिल्क यूनियन लि. (अमूलकी स्थापना से व्यवस्थित डेयरी उद्योग के विकास को दिशा मिली और इस विषय में शिक्षण व प्रशिक्षण को भी बढ़ावा मिला।
डेयरी के काम
डेयरी के कामों के अंतर्गत कई प्रकार के दुग्ध उत्पादों का निर्माणउपार्जनभंडारणप्रसंस्करण व विपणन शामिल हैं। इस काम के लिए डेयरी वैज्ञानिकों को नियुक्त किया जाता हैजो निर्माण की प्रक्रिया के हर पक्ष पर नजर रखते हैं। डेयरी तकनीशियन प्रयोग करके आकलन करते हैं कि विभिन्न तरह के चारे और पर्यावरण से जुड़ी स्थितियां दूध की गुणवत्तापौष्टिकता व मात्रा पर क्या प्रभाव डालती हैं। इसलिए डेयरी विशेषज्ञों की मांग उसी तहर बढ रही है जिस तरह से दूध उत्पादों की मांग दिनोंदिन बढ रही है। इन विशेषज्ञों के कामों पर नजर डालें तो दूध के विपणन या दूध को अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स में तब्दील करने का काम भी शामिल है। डेयरी टेक्नोलॉजी मूलततकनीक व गुणवत्ता नियंत्रण पर ध्यान देती है। इस क्षेत्र में काम करने वाले दूसरे पेशवरों में डेयरी इंजीनियर्स की आवश्यकता होती हैइन पर डेयरी के व्यवस्थापन व रख-रखाव की जिम्मेदारी होती है। इसके अलावा मार्केटिंग पेशेवरों की भी यहां जरूरत होती है जो मिल्क प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग व सेल्स से जुड़े काम देखते हैं। अगर आप इन कामों में रुचि रखते हैं तो यह क्षेत्र आपके लिए एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकता है।
पाठयक्रम
तब की बात और थी जब डेयरी टेक्नोलॉजी वेटरेनरी साईंस और एनिमल हस्बेंड्री पाठयक्रम के तहत सिखाई पढाई जाती थी। आज यह उससे जुदा कोर्स है जिसकी पढाई अलग होती है। डेयरी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आज डिप्लोमास्नातकस्नातकोत्तर व डॉक्टरेट स्तर के कोर्स चलाए जा रहे हैं। यादातर संस्थानों में स्नातक स्तर के कोर्स में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय स्तर पर लिखित प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। लिखित परीक्षा उत्तीर्ण होने वाले को आगे की प्रक्रिया के लिए चयनित किया जाता है। इसमें उत्तीर्ण होने के बाद संबंधित पाठयक्रम में नामांकन के लिए अभ्यर्थी चयनित किया जाता है।
व्यक्तिगत योग्यता
डेयरी टेक्नोलॉजी चूंकि विज्ञान का हिस्सा हैइसलिए विज्ञान में तो आपकी रुचि होना सबसे अहम है। इस क्षेत्र में प्रवेश पाने वाले अभ्यर्थी को मेहनतीकाम के प्रति समर्पित और जिज्ञासु होना चाहिए।
जिज्ञासु इसलिए कि यह काम थोडा उबाऊ है। इसके तहत काम कोई जरूरी नहीं कि शहरों में ही मिले। इसलिए इससे जुडने वाले लोगों को दूरस्थ अंचलों में काम करने और शहर की सुख-सुविधाओं से दूर रहने का आदी होना चाहिए। अगर ये विशेषताएं आपमें मौजूद हैं तो आप इस क्षेत्र को अपना सकते हैं।
अवसर व संभावनाएं
यह ऐसा क्षेत्र है जहां आप चाहें तो स्वरोजगार से अच्छी कमाई कर सकते हैं। कोई जरूरी नहीं कि आप शहर में रहकर ही कोई नौकरी करने को बाध्य हों। माना जाता है कि डेयरी टेक्नोलॉजी एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है जो प्रशिक्षित पेशेवरों के लिए कार्य के कई विकल्प उपलब्ध कराता है। यहां सार्वजनिक व निजी दोनों क्षेत्रों में रोजगार की गुंजाइश है। इन लोगों को डेयरी फार्मकोऑपरेटिव सोसायटीग्रामीण बैंकोंमिल्क प्रोडक्ट्स प्रोसेसिंग व मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में कार्य के मौके मिलते हैं। गुणवत्ता नियंत्रण के अंतर्गत आने वाले विभाग भी इन लोगों की नियुक्ति करते हैं।
डेयरी तकनीक में दक्ष व्यक्ति चाहें तो अपना मिल्क प्लांटक्रीमरीआइसक्रीम यूनिट भी शुरू कर सकते हैं। हालांकि एक कंसल्टेंट को काम करने से पहले काफी अनुभव हासिल करना जरूरी है। इसके अलावा शिक्षण व रिसर्च में भी अवसर हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस विकल्प को चुनते हैं।
आमदनी व तनख्वाह
अगर आप स्वरोजगार के तौर पर काम करते हैं तो यह आपके मेहनत पर निर्भर करता है कि आपकी आमदनी कितनी होती है। डेयरी प्लांट्स में डेयरी टेक्नोलॉजी स्नातकों का चयन अमूमन प्रशिक्षु व शिफ्ट अधिकारी बतौर होता है। प्रशिक्षु को दो हजार रुपए स्टायपेंड के रूप में मिलता हैजबकि पूर्णतप्रशिक्षित अधिकारी को 8-15 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। जनरल मैनेजर्स को 15 से 30हजार रुपए प्रतिमाह मिल सकते हैं। तनख्वाह और सुविधाएं अनुभव के आधार पर बढते जाते हैं।
प्रशिक्षण संस्थान
 सेठ एमसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसआणंद
 यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेजबेंगलुरु
 कॉलेज ऑफ डेयरी टेक्नोलॉजीरायपुर
 संजय गांधी इंस्टीटयूट ऑफ डेयरी साइंस एंड टेक्नोलॉजीपटना

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